कभी रोने पर भी पाबंदियां थी तो कभी मुस्कुराने पर भी थे एतराज़ हमसे कभी फ़िज़ूल में कभी रोने पर भी पाबंदियां थी तो कभी मुस्कुराने पर भी थे एतराज़ हमसे कभी...
पतझड़ का मौसम था, कुछ पेड़ों में पत्ते झडे़ थे, कुछ में नए निकल रहे थे, पर , तुम कह पतझड़ का मौसम था, कुछ पेड़ों में पत्ते झडे़ थे, कुछ में नए निकल रहे थे, ...
ना खुदा मिला, ना खुदा के बन्दे मिले, मुर्दों से बदतर कुछ ज़िन्दे मिले ना खुदा मिला, ना खुदा के बन्दे मिले, मुर्दों से बदतर कुछ ज़िन्दे मिले
कितने ख़राब हो तुम कितने ख़राब हो तुम
सत्य के कितने कोण सत्य के कितने कोण
उस अब्र के भी जाने कितने रंग हो गए साए में इनके लोग भी बदरंग हो गए उस अब्र के भी जाने कितने रंग हो गए साए में इनके लोग भी बदरंग हो गए